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हिन्दी आत्मा के सौंदर्य को निखारने की भाषा है : डॉ.पद्मेश गुप्त

डॉ. पद्मेश गुप्त 2007 से ऑक्सफ़ोर्ड में ऑक्सफ़ोर्ड बिजनेस कॉलेज के निदेशक के रूप में कार्यरत हैं।आप हिन्दी भाषा के विकास को लेकर पूरे दमखम के साथ लगे हुए हैं।

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साहित्य सम्मेलनों में फिल्म-जगत की घुसपैठ बर्दाश्त नहीं : चित्रा मुद्गल

अगर आयोजकों को फिल्मी दुनिया के लोगों को भी बुलाना है, तो उन्हें साहित्य सम्मेलनों का नाम बदलकर साहित्य, कला और फिल्म सम्मेलन कर देना चाहिए.... चित्रा मुद्गल

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जस्ट गो विद द फ्लो : अदम्य साहस की प्रतीक ऋचा कर्पे

नाम है ऋचा कर्पे... सकारात्मकता से लबरेज, उमंग से भरपूर एक ऐसी शख्सियत जिसने विषम परिस्थितियों में धैर्य, लगन, उत्साह और आशा की सुनहरी किरणों को थाम कर अपना आकाश खुद बनाया है। उनकी असाध्यता राहों में...

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बच्चे हिन्दू, मुस्लिम या सिख नहीं होते : कैलाश सत्यार्थी

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने 'वेबदुनिया' से एक्सक्लूसिव बातचीत करते हुए संवाददाता रूना आशीष को बताया कि हम हमारे देश को तो लक्ष्मी या दुर्गा का देश पुकारते हैं लेकिन ये भी उतना ही...

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बच्चे हिन्दू, मुस्लिम या सिख नहीं होते : कैलाश सत्यार्थी

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने 'वेबदुनिया' से एक्सक्लूसिव बातचीत करते हुए संवाददाता रूना आशीष को बताया कि हम हमारे देश को तो लक्ष्मी या दुर्गा का देश पुकारते हैं लेकिन ये भी उतना ही...

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मैं हास्‍य के कोण से दुनिया को देखता हूं: ज्ञान चतुर्वेदी

पेशे से डॉक्‍टर और वरिष्‍ठ व्‍यंग्‍यकार ज्ञान चतुर्वेदी ने करीब 1,000 से ज्‍यादा व्‍यंग्‍य रचनाएं लिखी हैं। उन्‍होंने कई सालों तक 'इंडिया टुडे' और 'ज्ञानोदय' समेत देशभर की तमाम पत्र-पत्रिकाओं में कॉलम...

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दिल्‍ली में कोई ठिकाना नहीं था, चित्रकार रामकुमार के स्‍टूडियो में रहता था:...

जितना हम जानते, समझते हैं साहित्‍य हमें उससे कहीं ज्‍यादा बड़ी दुनिया देखने के लिए देता है। इसलिए साहित्‍य मुझे प्रिय है। मैं पुस्‍तकालयों में जाता था, किताबें पढ़ता था, कई लेखक और कवियों को पढ़ता था। इस...

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ईश्‍वर से ‘मिलाप’ और ‘कन्‍वर्सेशन’ का तरीका है मुरालाला की लोक गायकी

अपने इकतारे और मंजीरे के साथ जब वे कबीर के भजन, मीरा के पद, शाह लतीफ भिटाई और बुल्‍लेशाह के कलाम गाते हैं तो देखकर लगता है कि उन्‍होंने अपने ‘निर्गुण’ को पा लिया है।

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जस्ट गो विद द फ्लो : अदम्य साहस की प्रतीक ऋचा कर्पे

नाम है ऋचा कर्पे... सकारात्मकता से लबरेज, उमंग से भरपूर एक ऐसी शख्सियत जिसने विषम परिस्थितियों में धैर्य, लगन, उत्साह और आशा की सुनहरी किरणों को थाम कर अपना आकाश खुद बनाया है। उनकी असाध्यता राहों में...

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प्रशस्त विश्वकर्मा : कोरोना संक्रमण के दौर में सेवा के कीर्तिमान रचता 24 साल...

आज हम एक ऐसे ही नौजवान के बारे मे जानेंगे जिसने अपने अनोखे अंदाज से खुद को बाकी सबसे अलग साबित किया। मात्र 24 वर्ष का ये लडका बाकी सब के लिए एक प्रेरणा बन गया। जबलपुर शहर का एक युवा उद्यमी प्रशस्त...

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मुस्लिम समाज से कैसे दूर हो जहालत का अंधेरा? : डॉ. राहत इंदौरी

जहालत दिखाने वाले दूसरे कुछ समुदायों की तरह मुस्लिम समाज के लोग भी रहे, इसलिए इस विषय में मशहूर शायर और शिक्षाविद् डॉ. राहत इंदौरी से बात की गई। बरसों तक कॉलेज में प्रोफेसर रहे डॉ. राहत इंदौरी ने क्या...

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Interview: साहित्य की अपनी राजनीति है और राजनीति के अपने साहित्यकार: शरद पगारे

उन्होंने गुलारा बेगम, बेगम ज़ैनाबादी,पाटलिपुत्र की साम्राज्ञी,गंधर्व सेन जैसे चर्चित उपन्यास लिखे, साथ ही उनके आठ कहानी संग्रह भी छप चुके हैं। उनके लेखन की अपने-अपने समय में स्वनामधन्य साहित्यकारों ने...

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भाषा वही चलेगी जो सबको ठीक लगेगी : साहित्यकार नर्मदा प्रसाद उपाध्याय

साहित्य मनीषी नर्मदा प्रसाद उपाध्याय कला, संस्कृति और इतिहास के विद्वान हैंं।   हाल ही में महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार से सम्मानित हुए हैं।   वरिष्ठ पत्रकार और लेखक शकील अख़्तर ने उनसे बातचीत...

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अलविदा मन्नू दी : सुविख्यात लेखिका मन्नू भंडारी से एक पुरानी मुलाकात

संवेदनशील लेखन की दुनिया में लेखिका मन्नू भंडारी का नाम बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है। आज सूचना मिली है कि मन्नू भंडारी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है। उनकी स्मृति को प्रणाम करते हुए इंदौर...

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कोरोना समय की बहुत-सी कहानियों पर काम करना है : प्रो. वामन केंद्रे

  कालिदास सम्मान मिलने पर प्रो. वामन केंद्रे से वेबदुनिया की विशेष बातचीत    पद्मश्री प्रो. वामन केंद्रे से शकील अख़्तर की मुलाकात   लॉकडाउन के बाद बदली है रंगकर्म की चुनौतियां   'जब आपको अचानक कोई...

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बच्चों के लिए नए और प्रासंगिक विषयों पर नाटक लिखे जाने की बहुत ज़रूरत - शकील...

 ‘बड़ों के लिए नाटक तो बहुत से लिखे जा रहे हैं लेकिन बच्चों के लिए नाटक बहुत कम लिखे जा रहे हैं। बच्चों के लिए नए और प्रासंगिक विषयों पर नाटकों की बहुत ज़रूरत है। मैंने बच्चों या नौजवानों के लिए...

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दुनिया बच्चों से किया अपना वादा निभाए वरना ये दिवस रस्म अदायगी भर रह जाएंगे :...

श्रीमती सुमेधा कैलाश एक जानी-मानी बाल अधिकार कार्यकर्ता और राजस्थान के विराटनर स्थित बच्चों के दीर्घकालिक पुनर्वास केंद्र बाल आश्रम की सह-संस्थापिका हैं।बच्चों के अधिकारों के लिए संघर्षरत नोबेल शांति...

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मैं अपने आपसे अक्सर असंतुष्ट रहता हूँ –बालेंदु शर्मा दाधीच

जिनका नाम ही काफी है- फ़ेसबुक पर 60 हजार मित्र और फालोअर्स हैं, तीन प्रोफाइल और पेजेस हैं, यू-ट्यूब पर एक लाख 30 हजार जुड़े हैं   विश्व की शीर्ष दो कंपनियों में से एक का निदेशक, अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार...

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